हंसना मना है
पुलिस वाले ने कार वाले को रोका – यह सुरक्षा वीक है। आप सीट बेल्ट पहन कर कार चला रहे हो इसलिए आपको ५००० रू का इनाम दिया जाता है। आप इस इनाम का क्या करोगे? (हंसना मना है)
कार ड्राइवर – मैं इस इनाम से अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाऊंगा।
पिछली सीट पर बैठी उसकी माँ बोली – इसकी बात का यकीन मत करना, यह शराब पीकर कुछ भी बोलता है।
उसके पापा नींद से जागे और पुलिस को देखके बोले – मुझे पता था कि चोरी की कार में हम ज़्यादा दूर नहीं जा पाएंगे।
तभी डिक्की से आवाज़ आई – भई, हमने बॉर्डर पार कर लिया क्या?
– ईशान सपोलिया
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राकेश – यार मेरी गर्लफ्रेंड का जन्मदिन है. उसे क्या दूँ ?
राजेश – देखना में कैसी है?
राकेश – मस्त है।
राजेश – मेरा मोबाइल नंबर दे दे।
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[sam_ad id=”20″ codes=”true”]इंटरव्यू में एक उम्मीदवार से पुछा गया, “कूटनीतिज्ञ कौन होता है?”
उम्मीदवार ने उत्तर दिया, “जो आदमी बोलने से पहले ही नहीं बल्कि चुप रहने से पहले भी दो बार सोचता है। ”
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पुलिस की भर्ती परीक्षा में आये एक उन्नीद्वार से पुछा गया – अगर लोगों की भीड़ इकट्ठी होकर गड़बड़ी कर रही हो तो उसको तित्तर बित्तर करने के लिए क्या करोगे?
एक जवाब आया – उगाही शुरू कर दूंगा।
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राम श्याम से – तुम्हारे पापा सच मच धनवान हैं?
श्याम – पूछो मत! उन्होंने अपने सभी दांत सोने के बनवा रक्खे हैं।
राम – तब तो वह अपना सर तिजोरी में रख कर सोते होंगे।
– डा. उमा शंकर श्रीवास्तव द्वारा संकलित
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एक मित्र दुसरे मित्र से – तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं ?
दूसरा मित्र – मोगों से सुख दुःख बांटते हैं।
पहला मित्र – वो क्या सामाजिक कार्यकर्ता हैं ?
दूसरा मित्र – नहीं, डाकिया हैं।
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तुम घोड़े के बराबर नहीं दौड़ सकते हो ?
लेकिन घोड़ा दौड़ में मुझसे आगे नहीं जा सकता।
ऐसा हो ही नहीं सकता।
क्यों सकता, मैं घोड़े पर बैठा जो रहूँगा।
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जुगल ने अपनी प्रेमिका से कहा, “मैं उस युवती से शादी करूँगा, जो मेहनती हो, सादगी से रहती हो, घर को संवारकर रखती ही, आज्ञाकारी हो। ”
प्रेमिका ने मुस्कुराते हुए बताया, “मेरे घर आ जाना, ये सरे गुण मेरी नौकरानी में हैं। ”
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सुन्दर युवती बानी-ठनी अपने पुरुष की बाट देख रही थी। जब वह आया तो उसका मुख दमक रहा था। वह बोला – आज हमारी रात्रि बड़ी मधुर बीतेगी. मैं खलनायक के तीन टिकट ले आया हूँ।
निराश स्वर में युवती ने पुछा – तीन क्यों ?
तुम्हारे पिता, माँ और भाई के लिए।
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तेरा क्या होगा छात्र?
टीचर: तुम बड़े होकर क्या करोगे?
छात्र: शादी।
टीचर: नहीं, मेरा मतलब है क्या बनोगे?
छात्र: दूल्हा।
टीचर: ओह! मेरा मतलब है बड़े होकर क्या हासिल करोगे?
छात्र: दुल्हन।
टीचर: धत्त् ! मेरा मतलब बड़े होकर मम्मी पापा के लिए क्या करोगे?
छात्र: बहु लाऊंगा।
टीचर: मूर्ख! तुम्हारे पापा तुमसे क्या चाहते हैं?
छात्र: पोता।
टीचर: हे भगवान! तुम्हारी ज़िन्दगी का क्या मतलब है?
छात्र: हम दो, हमारे दो, जब तक तीसरा न हो।
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बिलकुल भी जगह नहीं है
भोला जी स्कूटर पर अपने दो दोस्तों के साथ जा रहे थे। एक सिपाही ने उन्हें हाथ देकर रोक। भोला जी ने स्कूटर को ब्रेक लगाई और बड़े ही सहानुभूति भाव से बोले – भाई साहिब जी, हम पहले ही तीन बैठे हुए हैं इसलिए बिलकुल भी जगह नहीं है।
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शैतान शिष्या
परेशान टीचर हुई, शिष्या थी शैतान,
बोली, तुमको ठीक मैं करदूं पकड़ कर कान
करूँ पकड़ कर कान, दूर शैतानी सारी,
हफ्ते भर जो बन जाऊँ मम्मी तुम्हारी।
शिष्या बोली, सच टीचर मैं तो हूँ रेडी
पर क्या यह प्रस्ताव मान जायेंगे डैडी ?
डैडी जी ने जब सुना बेटी का प्रस्ताव,
मुदित हुआ मन बढ़ गया बाँछों का फैलाव,
बाछों का फैलाव, कहा, इच्छा हो जैसी,
पर तुम्हारी टीचर है दिखने में कैसी?
मम्मी बोली, उसको आने दो घर में,
वो क्या उसको ठीक करूँ में हफ्ते भर में।
– मदन मोहन बाहेती
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