महिलाओं को मेंटल हेल्थ पर भी देना होगा ध्यान
भरत पांडेय
हम शारीरिक स्वास्थ्य की बात तो करते हैं, पर मेंटल हेल्थ पर ज्यादा चर्चा नहीं होती। जबकि रिपोर्ट्स बताते हैं कि महिलाओं में मानसिक तनाव अधिक देखने को मिलता है। आइए कुछ आसान तरीकों के माध्यम में समझें कि कैसे हम खुद को और आस-पास की महिलाओं को मानसिक रूप से स्वस्थ बना सकते हैं। आमतौर पर चाहे एक छोटी बच्ची हो, लड़की या महिला, उम्र का कोई भी पड़ाव हो पर हम अपने साथ हो रहे अत्याचारों के बारे में बात नहीं करते। अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। हमें लगता है कि जो हो रहा है वही हमारी नियति है और इसके लिए हम अपने आपको ही जिम्मेदार मानने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी बात बोलें, तब तक बोलें जब तक वो सुनी न जाए और उस पर उचित कदम न उठाया जाए।
सुनना भी हमारी जिम्मेदारी- सिर्फ बोलने के मौके न तलाशें। ये भी समझें कि शायद कोई और कुछ बोलना भी चाह रहा है। खासकर अपने घर, आस-पड़ोस, दफ्तर या कहीं भी आपको किसी के व्यवहार में कोई बड़ा परिवर्तन नजर आ रहा हो या लग रहा हो कि किसी को सुनने की जरूरत है, तो सुनें। किसी और को मानसिक तकलीफ में आराम दे पाएंगी तो आपको भी मानसिक शांति और संतुष्टि मिलेगी।
जो दिल में है लिख दें- महिलाओं को कई रिश्ते, जिम्मेदारियां, दुनियादारी निभानी होती है। ऐसे में कई बार वो अंदर से बहुत भरी हुई होती है। वो खुद भी समझती है कि आज उसका गुस्सा किसी भी वक्त फूट सकता है। ऐसे में जो दिल में है उसे लिखें। आप हल्का महसूस करेंगी। चाहें तो लिखे हुए को फाड़ कर फेंक दें, चाहें तो अपने पास रखें। कुछ वक्त बाद उसे पढ़ेंगी तो शायद परेशानी का समाधान भी खुद ही मिल जाए।
चुपचाप सहते रहने में कोई महानता नहीं- एक अंग्रेजी कहावत है- there is no honor in silent suffering. यानी चुपचाप सहते रहने में कोई महानता नहीं है। कोई बात आपको अगर परेशान भी कर रही है तो उसे अंदर पाले मत रहिए। पूरी बात को समझने की कोशिश करें। कई बार एक छोटी सी बात को लेकर हम अवसाद में चले जाते हैं और बहुत समय बाद पता चलता है कि कुछ वैसा था ही नहीं, जैसा हमने सोचा।
ज्यादा वक्त न गंवाएं- एक और आम बात जो औरतों को डिप्रेशन का शिकार बनाती है वो ये है कि हम किसी भी चीज में बहुत वक्त लगा देते हैं और जब लगता है कि ये काम नहीं कर रहा तो सिर्फ इसलिए उस काम को नहीं छोड़ पाते कि बहुत वक्त तो लगा ही दिया। ये रिश्तों पर भी लागू होता है। तो चाहे कोई रिश्ता हो, बिजनेस हो या कुछ और, लाख कोशिशों के बाद भी वो काम न कर रहा हो तो बाहर निकल आएं।
खुद के लिए वक्त निकालें- महिलाएं आमतौर पर घर और दफ्तर में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि खुद के लिए समय नहीं निकाल पातीं और इस वजह से वो चिड़चिड़ी होने लगती हैं। तो मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है कि आप अपने लिए समय निकालें, वो करें जिससे आपको खुशी मिलती हो।
शेयर करें- परिवार-दोस्तों से दिल की बात शेयर करें। अच्छे-बुरे सारे अनुभव शेयर करें। थोड़ा-थोड़ा अपना काम भी परिवार के साथ बांट लें। काम में घरवाले हाथ बटाएंगे तो आपको भी अच्छा लगेगा और आप प्रसन्न रहेंगी।